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आत्म से संबंधित विचार
आत्मानुशासन और आत्म - संतुलन का अभ्यास ही योग साधना है।
By Pandit Shriram Sharma Acharya
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आत्मसुधार में तपस्वी, परिवार निर्माण में मनस्वी और समाज परिवर्तन में तेजस्वी की भूमिका निबाहें। अनीति के वातावरण में मूकदर्शक बनकर न रहें।
By Pandit Shriram Sharma Acharya
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आत्मोन्नति से विमुख होकर मृगतृष्णा में भटकने की मूर्खता न करो।
By Pandit Shriram Sharma Acharya
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आत्म जिज्ञासा- आत्म कल्याण का मुख्य द्वार है। जो उसे पा लेता है, वह अपनी जीवन यात्रा की मंजिल भी आसानी से प्राप्त कर लेता है,
By Pandit Shriram Sharma Acharya
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आत्म निर्माण ही युग निर्माण है।
By Pandit Shriram Sharma Acharya
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आत्मोन्नति संसार की किसी भी बड़ी से बड़ी उन्नति से उच्च एवं महनीय होती है।
By Pandit Shriram Sharma Acharya
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शस्त्र युद्ध में विजय प्राप्त करने की अपेक्षा आत्म- जय करने में अधिक वीरता है।
By Pandit Shriram Sharma Acharya
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आत्म परिष्कार, लोकमंगल, परमार्थ से युक्त
मनोभूमि
और क्रियापद्धति ही वह मार्ग है, जिस पर चलकर ईश्वर प्राप्ति होती है।
By Pandit Shriram Sharma Acharya
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किसी को आत्म- विश्वास जगाने वाला प्रोत्साहन देना ही सर्वोत्तम उपहार है।
By Pandit Shriram Sharma Acharya
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आत्मोन्नति संसार की किसी भी बड़ी से बड़ी उन्नति से उच्च एवं महनीय होती है।
By Pandit Shriram Sharma Acharya
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आत्मज्ञान, आत्मसम्मान और आत्मसंयम ही मनुष्य को महती शक्ति की ओर ले जाते हैं।
By Pandit Shriram Sharma Acharya
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आत्म - निरीक्षण इस संसार का सबसे कठिन, किन्तु करने योग्य कर्म है।
By Pandit Shriram Sharma Acharya
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