अत्यन्त व्यस्त, असमर्थ लोगों के लिए एक
इक्कीसवीं सदी का गंगावतरण - (क्रान्तिधर्मी साहित्य पुस्तकमाला -22)
अत्यन्त व्यस्त, असमर्थ लोगों के लिए एक प्रतीक साधना भी युग- सन्धि पुरश्चरण के अन्तर्गत नियोजन की गई है। प्रात:काल आँख खुलते ही पाँच मिनट की इस मानसिक ध्यान धारणा को सम्पन्न किया जा सकता है।
अपने स्थान से ध्यान में ही हरिद्वार पहुँचा जाए। गंगा में
डुबकी लगाई जाए। शान्तिकुञ्ज में प्रवेश किया जाए। गायत्री मन्दिर
और यज्ञशाला की परिक्रमा की जाए। अखण्ड दीपक के निकट पहुँचा जाए।
कम से कम दस बार वहाँ बैठकर जप किया जाय। माताजी से भक्ति का
और गुरुदेव से शक्ति का अनुदान लेकर अपनी जगह लौट आया जाए। इस
प्रक्रिया में प्राय: पाँच मिनट लगते हैं एवं महापुरश्चरण की
छोटी भागीदारी इतने से भी निभ जाती है। जिसके पास समय है वे
गायत्री का जप और सूर्य का ध्यान सुविधानुरूप अधिक समय तक करें।